देबारी की ऐतिहासिक त्रिमुखी बावड़ी - Trimukhi Baori Debari Udaipur, इसमें उदयपुर के पास देबारी में त्रिमुखी गणेश बावड़ी के बारे में जानकारी दी गई है।
मेवाड़ बावड़ियों का गढ़ है। यहाँ के महाराणाओं ने जनकल्याण के लिए बावड़ियाँ बनवाई ताकि अकाल और आपदा के समय आम जनता को पेयजल की आपूर्ति होती रहे।
सार्वजनिक जगहों पर बनी ये बावड़ियाँ अपनी सुंदरता और शिल्पकला के लिए आज भी काफी प्रसिद्ध हैं। मध्यकालीन भारत में ये बावड़ियाँ पेयजल का स्त्रोत होने के अलावा धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र भी हुआ करती थी।
इन बावड़ियों पर प्राचीन अभिलेख भी मिलते हैं जिनसे हमें उस समय के ऐतिहासिक और सामाजिक जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। ऐतिहासिक प्रमाण होने की वजह से ये बावड़ियाँ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों में गिनी जाने लगी है।
इसी क्रम में आज हम बात करते हैं उदयपुर के पास देबारी में मौजूद त्रिमुखी बावड़ी के बारे में। इस बावड़ी का निर्माण सन् 1675 ईस्वी में महाराणा राजसिंह की रानी रामरस दे ने करवाया था।
बावड़ी में तीन अलंकृत प्रवेश द्वार बने होने की वजह से इसे त्रिमुखी बावड़ी कहा जाता है। साथ ही इसे जया बावड़ी भी कहा जाता है।
बावड़ी में एक प्रस्तर का अभिलेख मौजूद है जिसमें बप्पा रावल से लेकर महाराणा राज सिंह तक के राजाओं की उपलब्धियाँ बताई गई हैं। इसके साथ मालपुरा विजय, चारुमति विवाह और सर्वऋतु विलास बाग के बारे में जानकारी भी दी गई है।
बावड़ी में गणेश और भैरव की प्रतिमाएँ विराजमान हैं। बावड़ी के पास एक गणेश मंदिर होने की वजह से अब इसे त्रिमुखी गणेश बावड़ी के नाम से जाना जाता है।
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
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