एक ही वंश के थे भगवान राम और जैन तीर्थंकर! - Shri Ram and Tirthankaras of Ayodhya

एक ही वंश के थे भगवान राम और जैन तीर्थंकर! - Shri Ram and Tirthankaras of Ayodhya, इसमें इक्ष्वाकुवंश के तीर्थंकरों और श्रीराम के बारे में जानकारी है।

Shri Ram and Tirthankaras of Ayodhya

भगवान राम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ जबकि जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को हुआ। इन दोनों के जन्म के बीच हजारों सालों का अंतर है लेकिन फिर भी दोनों के बीच एक अद्भुत संबंध है।

जैन धर्म में तीर्थंकर परंपरा की शुरुआत पहले तीर्थंकर भगवान आदिनाथ यानी ऋषभदेव से हुई जो अयोध्या के राजा नाभि के पुत्र थे। अयोध्या में इनके अलावा अजितनाथ (दूसरे), अभिनंदननाथ (चौथे), सुमतिनाथ (पाँचवें) और अनंतनाथ (चौदहवें) जैसे चार तीर्थंकरों का जन्म और हुआ था।

इसलिए हम कह सकते हैं कि हिन्दू और जैन धर्म में अयोध्या का काफी ज्यादा धार्मिक महत्व है। भगवान आदिनाथ का जन्म चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की नवमी को हुआ।

इन्होंने ही इक्ष्वाकुवंश की स्थापना की जिसमें सभी जैन तीर्थंकरों का जन्म हुआ और कई पीढ़ियों के बाद इस वंश में ही भगवान श्रीराम का जन्म भी हुआ। इस तरह भगवान श्रीराम और जैन धर्म के तीर्थंकरों की जड़ें एक ही वटवृक्ष से ही निकली हुई हैं।

इक्ष्वाकुवंश का नाम इक्षु यानी गन्ने से आया है क्योंकि सरयू नदी के किनारे पर बसे अयोध्या के निवासी गन्ने की खेती करके उसका रस निकालना जानते थे, शायद इसी वजह से भगवान ऋषभदेव ने अपना 400 दिन का उपवास अक्षय तृतीय के दिन गन्ने से तोड़ा था।

वाल्मीकि रामायण में भी बताया है कि महर्षि भारद्वाज के आश्रम में जब भगवान राम के छोटे भाई भरत की सेना गई तब उनके घोड़ों को गन्ना खिलाया गया था। इक्ष्वाकु कुल के राजाओं को सूर्यवंशी भी कहा जाता है।



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें। जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट भी हूँ इसलिए मैं लोगों को वीडियो और ब्लॉग के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारियाँ भी देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर ट्रैवल और हेल्थ से संबंधित मेरे लेख पढ़ सकते हैं।

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