भारत में मंदिरों की शुरुआत कैसे हुई? - How temples started in India?

भारत में मंदिरों की शुरुआत कैसे हुई? - How temples started in India? इसमें भारत के अंदर हिन्दू मंदिरों के शुरू होने के बारे में जानकारी दी गई है।

How temples started in India

भारत के अलग-अलग राज्यों में मंदिर को देवालय, देवकुल, देवायतन, कोविल, देवल, देवगृह, देवस्थानम, प्रासाद या क्षेत्रम जैसे नामों से जाना जाता है।

मंदिर के बारे में सबसे पहली जानकारी शतपथ ब्राह्मण में मिलती है। वैदिक काल में मंदिर नहीं थे और देवताओं की उपासना मूर्तिपूजा से नहीं बल्कि यज्ञ के द्वारा की जाती थी।

बाद में महाकाव्य और पौराणिक काल में वैदिक देवताओं का महत्व कम होने लगा और यज्ञ की जगह मूर्ति पूजा ने ले ली जिसकी वजह से मंदिरों का निर्माण होना शुरू हुआ।

शुरुआती दौर के मंदिर समतल छत वाले थे लेकिन समय के साथ मूर्तिपूजा के बढ़ते असर की वजह से मंदिरों को सुंदर बनाने के लिए स्थापत्य कला का विकास हुआ। गुप्तकाल आते-आते काफी बड़े स्तर पर मंदिरों का निर्माण होने लगा। 

मंदिरों के निर्माण में राजाओं का बड़ा योगदान रहा है। राजाओं की कई-कई पीढ़ियाँ मंदिरों के निर्माण के साथ उसके जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण का काम किया करती थी।

मंदिरों में भव्यता की शुरुआत वैष्णव परंपरा से हुई मानी जाती है क्योंकि शुरुआती शैव और शाक्त मंदिर तो खुले आँगन में हुआ करते थे जैसे किसी पेड़ के नीचे या फिर किसी गाँव की सीमा पर। समय के साथ नगरों के अलावा जंगलों, पर्वतों, नदियों के पास थी मंदिर और तीर्थ स्थलों की स्थापना होने लगी।



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें। जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट भी हूँ इसलिए मैं लोगों को वीडियो और ब्लॉग के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारियाँ भी देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर ट्रैवल और हेल्थ से संबंधित मेरे लेख पढ़ सकते हैं।

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