राजस्थान का दूसरा हवामहल - Hawa Mahal and Ruthi Rani Mahal in Hindi

राजस्थान का दूसरा हवामहल - Hawa Mahal and Ruthi Rani Mahal in Hindi, इसमें जयसमंद झील के पास हवामहल और रूठी रानी के महल के बारे में जानकारी दी गई है।

Hawamahal and Ruthi Rani Mahal in Hindi

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आपने जयपुर के विश्वप्रसिद्ध हवामहल के बारे में तो सुना ही होगा जो राजस्थान के मुख्य पर्यटक स्थलों में से एक है लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजस्थान में जयपुर के अलावा एक और हवामहल मौजूद हैं।

यह हवामहल इंसानों द्वारा एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मीठे पानी की झील के किनारे पर एक पहाड़ी के ऊपर बना हुआ है और जयपुर के हवामहल से भी ज्यादा पुराना है।

इस महल में राजा और उनके परिवार के लोग गर्मियों के अंदर रहने आते थे ताकि वो लोग यहाँ से इस विशाल झील की खूबसूरती को निहार सके।

तो चलिए आज हम राज परिवार के इस ग्रीष्मकालीन महल को देखकर इसके इतिहास के बारे में जानने का प्रयास करते हैं, आइए शुरू करते हैं।

हवामहल की विशेषताएँ - Features of Hawa Mahal


जयसमंद झील के पास की पहाड़ी पर मौजूद इस महल को हवामहल के नाम से जाना जाता है। यह महल वन विभाग के एरिया में आता है जहाँ पर जाने के लिए इसकी पर्मिशन जरूरी है।

महल तक जाने के लिए झील की पाल के एक किनारे पर बने महल में टिकट लेकर इसके बगल से आगे जाना है। थोड़ा आगे जाने पर दो रास्ते आते हैं जिनमें सीधा जाने वाला रास्ता रूठी रानी के महल की तरफ और राइट साइड वाला रास्ता हवामहल की तरफ जाता है।

इस जगह से रूठी रानी के महल की दूरी ढाई किलोमीटर और हवामहल की दूरी डेढ़ किलोमीटर है। हवामहल जाने के लिए इस जगह से आगे पहाड़ी की चढ़ाई शुरू हो जाती है।

महल तक जाने के लिए डेढ़ किलोमीटर लंबा फुटपाथ बना हुआ है। ऊपर जाने पर हवामहल की शानदार बिल्डिंग शुरू होती है। महल के बीच में एक चौक है। चौक के एक तरफ बहुमंजिली इमारत मौजूद है जिसकी ऊपरी मंजिलों पर झरोखे बने हुए हैं।

दूसरी तरफ एक बरामदेनुमा जगह है जहाँ पर बैठकर झील का सुंदर व्यू देखा जा सकता है। इस जगह से दूर-दूर तक फैली झील के साथ उसकी लंबी पाल का बड़ा शानदार नजारा दिखाई देता है।

महल के अंदर जाने पर बड़े गलियारों के साथ कई कमरे बने हुए हैं। ऊपरी मजिल के कुछ कमरों के ऊपर गुंबद बने हुए हैं जो महल की छत से साफ नजर आते हैं। छत पर बने ये विशाल गुंबद अपने आप में काफी अनोखे दिखाई देते हैं।

महल की छत से चारों दिशाओं में दूर-दूर तक देखा जा सकता है। बारिश के मौसम में हर तरफ हरियाली की चादर नजर आती है।


दूर पहाड़ी पर रूठी रानी के महल की सुंदर झलक भी नजर आती है। मुख्य महल के सामने खंभों पर टिकी एक और छोटी इमारत बनी है जो शायद मीटिंग के काम में आया करती थी।

घनी हरियाली और झील के किनारे पहाड़ पर होने के कारण इस महल में ठंडी हवा काफी तेजी से अंदर आती है इसलिए इसे हवामहल कहा जाता है। राजा और राजपरिवार के लोग यहाँ पर गर्मियों में आया करते थे।

हवामहल का इतिहास - History of Hawa Mahal


अगर हम हवामहल के इतिहास के बारे में बात करें तो इसका निर्माण 17वीं शताब्दी के अंत में महाराणा जय सिंह ने जयसमंद झील के निर्माण के साथ करवाया था।

उस समय इस महल का नाम जयमंदिर था जो तोरण के नाम से भी जाना जाता था। समय के साथ इसका नाम बदलकर हवामहल हो गया।

इस महल के निर्माण का उद्देश्य पहाड़ के ऊपर से जयसमंद झील की खूबसूरती को निहारने के साथ इसके निर्माण की याद को ताजा रखना था।

एक किवदंती के अनुसार ऐसा भी माना जाता है कि इस महल का निर्माण महाराणा जय सिंह ने अपने एक घुड़सवार को इनाम देने के लिए करवाया था। दरअसल इस घुड़सवार ने महाराणा की चुनौती को स्वीकार करके  एक घाटी को जम्प करके पार किया था।

गुजरते समय के साथ जब महल को मरम्मत की जरूरत पड़ी तब महाराणा सज्जन सिंह और महाराणा फतह सिंह ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था।

झील की तरफ महल के नीचे की तलहटी में महाराणा जय सिंह ने एक नगर भी बसाया था जिसका नाम जयनगर रखा गया था। इस नगर की कुछ इमारतों के अवशेष अब भी दिखाई देते हैं।

रूठी रानी का महल - Ruthi Rani Ka Mahal


महाराणा जय सिंह ने जयसमंद झील के किनारे पर हवामहल के साथ एक और महल बनवाया था जिसे अब रूठी रानी के महल के नाम से जाना जाता है।

पहले इस महल को भी हवामहल के नाम से ही जाना जाता था क्योंकि ठंडी हवा आने के कारण इसमें भी गर्मी के मौसम में राजपरिवार के सदस्य रहने के लिए आते थे।

इस महल का नाम हवामहल से रूठी रानी के महल में बदलने के बारे में बताया जाता है कि महाराणा जयसिंह ने अपनी पँवार रानी के रूठ जाने पर यह महल उसे दे दिया। बाद में यह रानी इस महल में स्थाई रूप से ही रहने लग गई जिस वजह से इसे रूठी रानी का महल कहा जाने लगा।

रूठी रानी के महल से जयसमंद झील के साथ घने जंगल का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। यह महल भी हवामहल के जैसी हालत में ही मौजूद है।

रूठी रानी का महल जयसमंद सेंचुरी के काफी अंदर बना हुआ है जहाँ पर आपको पैंथर और ममगरमच्छ जैसे कई तरह के जंगली जानवर दिखाई दे सकते हैं  

जयसमंद पाल से रूठी रानी के महल तक जाने के लिए झील के बगल से 2.5 किलोमीटर लंबा ट्रैक बना हुआ है।

हवामहल और रूठी रानी के महल की लोकेशन बड़ी शानदार है इसलिए इनमें कई फिल्मों जैसे खुद्दार, नसीब आदि के साथ कुछ राजस्थानी एल्बमों की शूटिंग भी हो चुकी है।

हवामहल के पास घूमने की जगह - Places to visit near Hawa Mahal


अगर हम हवामहल के पास घूमने की जगह के बारे में बात करें तो आप जयसमंद झील को देखने और इसमें बोटिंग करने के साथ रूठी रानी के महल को देख सकते हैं।

इस जगह वाइल्ड लाइफ सेंचुरी भी बनी हुई है जिसमें कई तरह के जंगली जानवरों को देखने के साथ पैंथर सफारी भी की जा सकती है।

हवामहल कैसे जाएँ? - How to reach Hawa Mahal?


अब हम बात करते हैं कि हवामहल कैसे जाएँ? यह महल जयसमंद झील के एक किनारे की पहाड़ी पर बना हुआ है इसलिए इस महल तक जाने के लिए हमे सबसे पहले जयसमंद झील जाना होगा।

जयसमंद झील उदयपुर-सलूम्बर मार्ग पर मौजूद है। उदयपुर रेल्वे स्टेशन से इसकी दूरी लगभग 50 किलोमीटर है।

उदयपुर से इस झील तक जाने के लिए बढ़िया रोड़ बनी हुई है। आप अपनी कार, टैक्सी या फिर बाइक से यहाँ पर जा सकते हैं। उदयपुर से जयसमंद जाते समय बीच में केवड़ा की नाल नाम का जंगल आता है जिसमें बाइक से गुजरना बड़ा शानदार लगता है।

जयसमंद झील पर जाने के बाद वन विभाग से टिकट लेकर हवामहल और रूठी रानी महल तक जाया जा सकता है। दोनों महल दो अलग पहाड़ों के ऊपर बने हुए हैं।

आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।

इस तरह की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

हवामहल की मैप लोकेशन - Map location of Hawamahal



हवामहल का वीडियो - Video of Hawa Mahal



हवामहल की फोटो - Photos of Hawa Mahal


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें। जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट भी हूँ इसलिए मैं लोगों को वीडियो और ब्लॉग के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारियाँ भी देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर ट्रैवल और हेल्थ से संबंधित मेरे लेख पढ़ सकते हैं।

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