माता की नाभि से क्यों निकली मधुमक्खियाँ? - Ghata Wali Mata Debari Udaipur

माता की नाभि से क्यों निकली मधुमक्खियाँ? - Ghata Wali Mata Debari Udaipur, इसमें उदयपुर के देबारी में मौजूद घाटा वाली चामुंडा माता की जानकारी दी है।

Ghata Wali Mata Debari Udaipur

उदयपुर के देबारी दरवाजे के पास एक घाटे पर विराजी है घाटा वाली माताजी। महाराणा उदय सिंह ने जब उदयपुर को बसाया था तब उन्होंने इसकी सुरक्षा के लिए देबारी में एक दरवाजे और परकोटे के साथ घाटा वाली माताजी के मंदिर का निर्माण भी करवाया।

उस समय उदयपुर पर मुगलों के ज्यादातर आक्रमण चित्तौड़ की तरफ से ही होते थे इसलिए इस दरवाजे की सुरक्षा का जिम्मा देवड़ा राजपूतों को सौंपा गया था।

ऐसा बताया जाता है कि एक बार जब इस दरवाजे पर मुगलों का आक्रमण हुआ तब देवड़ा सरदारों ने माता की आराधना करके मदद मांगी, तब माता की नाभि से मधुमक्खियों के झुंड ने निकलकर मुगलों को दरवाजे से काफी दूर नाहरा मगरा तक भगा दिया।

इस मंदिर को तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं के देवरे के रूप में भी जाना जाता है जिसमें भ्रामरी स्वरूप में विराजित माता की चामुंडा स्वरूप में भी पूजा की जाती है।

कभी यह मंदिर एक देवरे के रूप में हुआ करता था जिसमें नीम और टिमरू के पेड़ के नीचे देवी की पूजा होती थी। समय के साथ अब मंदिर का काफी विकास हो गया है। मंदिर परिसर में 34 फीट का एक त्रिशूल भी लगा हुआ है।

माता को बड़ा चमत्कारी माना जाता है और कहा जाता है कि जो निसन्तान दम्पत्ति यहाँ आकर मन्नत मांगते हैं उन्हें संतान की प्राप्ति जरूर होती है।

ऐसा बताया जाता है कि 1992 में हाईवे बनाने के लिए इंजीनियर जब भी मंदिर के पास सड़क का सर्वे करते थे तब उन्हें बाल रूप में देवी दिखती थी। उस समय इसे चमत्कार मानकर सड़क को मंदिर से थोड़ा दूर बनाया गया।

ऐसा बताया जाता है कि मेवाड़ के गोमा डाकू की भी माता में काफी आस्था थी। वह बिना माता की पूजा किए कहीं पर भी डाका डालने नहीं जाता था। 

आज भी मेवाड़ के प्रसिद्ध लोकनृत्य गवरी में जिस गोमा का जिक्र आता है वो गोमा डाकू ही है और गवरी में कलाकार इस पात्र की भूमिका भी निभाते हैं।



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

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रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें। जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट भी हूँ इसलिए मैं लोगों को वीडियो और ब्लॉग के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारियाँ भी देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर ट्रैवल और हेल्थ से संबंधित मेरे लेख पढ़ सकते हैं।

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