आमेर और जोधपुर के राजा क्यों आए उदयपुर के महाराणा के पास? - Debari Samjhauta

आमेर और जोधपुर के राजा क्यों आए उदयपुर के महाराणा के पास? - Debari Samjhauta, इसमें देबारी के प्रसिद्ध ऐतिहासिक समझौते के बारे में जानकारी दी गई है।

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उदयपुर का देबारी एक ऐसी जगह है जहाँ पर एक ऐतिहासिक समझौता हुआ था जिसे देबारी समझौता कहा जाता है। चलिए हम इस पूरे घटनाक्रम को समझते हैं।

दरअसल हुआ ये था कि जब 1707 ईस्वी में मुगल बादशाह औरंगजेब की मौत हो गई थी तब उसके बेटों में उत्तराधिकार के लिए युद्ध होना शुरू हो गया था।

इस युद्ध में सवाई जय सिंह ने शहजादे आजम का साथ दिया और इनके भाई विजयसिंह ने शहजादे मुअज्जम का साथ दिया। यह युद्ध शहजादा मुअज्जम जीत गया और बहादुर शाह प्रथम के नाम से बादशाह बना।

बादशाह बनने के बाद इसने सवाई जय सिंह से उसका राज्य छीन कर इनके भाई विजय सिंह को राजा बना दिया और आमेर का नाम बदल कर मोमिनाबाद कर दिया।

इसी तरह जोधपुर के अजीत सिंह का राज्य भी मुगलों के अधिकार में था। मुगलों से अपने राज्य वापस पाने के लिए जय सिंह और अजीत सिंह, उदयपुर के महाराणा के पास उनकी सहायता लेने के लिए गए।

इस तरह 1708 ईस्वी में यानी औरंगजेब की मौत के एक साल बाद देबारी में उदयपुर के महाराणा अमर सिंह द्वितीय, आमेर के राजा सवाई जय सिंह और जोधपुर के राजा अजीत सिंह के बीच एक समझौता हुआ जिसे देबारी समझौता कहा जाता है।

इस समझौते के अनुसार तीनों रियासतों की सेना मिलकर मुगलों से युद्ध करके जयपुर और जोधपुर पर अधिकार करके उन्हें वापस जयसिंह और अजीत सिंह को सौंपेगी।

साथ ही जयपुर के राजा सवाई जय सिंह का विवाह उदयपुर के महाराणा अमर सिंह द्वितीय की पुत्री चंद्रकुंवर के साथ होगा और इनसे पैदा होने वाला पुत्र ही आमेर का राजा बनेगा।



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें। जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट भी हूँ इसलिए मैं लोगों को वीडियो और ब्लॉग के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारियाँ भी देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर ट्रैवल और हेल्थ से संबंधित मेरे लेख पढ़ सकते हैं।

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