औरंगजेब ने क्यों तोड़ा ये दरवाजा? - Debari Gate and Raj Rajeshwar Mahadev Mandir in Hindi, इसमें देबारी समझौते के लिए प्रसिद्ध जगह की जानकारी दी गई है।
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आज हम आपको एक ऐसी धार्मिक और ऐतिहासिक जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जो उदयपुर की स्थापना के समय से ही काफी महत्वपूर्ण जगह रही है।
यही वो ऐतिहासिक जगह है जहाँ पर उदयपुर, जोधपुर और जयपुर रियासत के राजाओं ने बैठकर एक ऐसा समझौता किया था जिसकी वजह से तीनों की सेना एक साथ मुगल सेना से लड़ी थी।
इस जगह पर उदयपुर का वो पूर्वी दरवाजा मौजूद है जिसने कई बार बाहरी आक्रमणकारियों से उदयपुर की रक्षा करने में अपना विशेष योगदान दिया है।
यह जगह इसलिए भी खास है क्योंकि यहाँ पर विशाल दरवाजे और परकोटे के साथ महादेव का मंदिर, बावड़ी और युद्ध में शहीद हुए योद्धाओं की छतरियाँ हमेशा उस दौर की याद दिलाती है।
तो चलिए आज हम धार्मिक और सामरिक महत्व की इस ऐतिहासिक जगह को देखकर इसके इतिहास को समझने का प्रयास करते हैं, आइए शुरू करते हैं।
देबारी दरवाजा और राज राजेश्वर महादेव मंदिर की विशेषता - Features of Debari Gate and Raj Rajeshwar Mahadev Temple
देबारी में मौजूद इस जगह पर उदयपुर का पूर्वी दरवाजा, परकोटा, बावड़ी और राज राजेश्वर महादेव मंदिर के साथ कुछ योद्धाओं की याद में बनाई गई छतरियाँ बनी हुई हैं।
देबारी दरवाजा और परकोटा - Debari gate and Rampart
सबसे पहले हम उदयपुर के रक्षक इस पूर्वी दरवाजे के बारे में बात करते हैं। देबारी नाम की जगह पर होने की वजह से इस दरवाजे को देबारी दरवाजा कहा जाता है।
यह दरवाजा चित्तौड़गढ़ से नाहरा मगरा होते हुए उदयपुर शहर में आने का एकमात्र रास्ता है। इस जगह पर दरवाजा बनाने का मुख्य कारण यह है कि पुराने समय में उदयपुर पर ज्यादातर आक्रमण चित्तौड़ की तरफ से ही हुआ करते थे।
जब महाराणा उदय सिंह ने चित्तौड़ को छोड़कर उदयपुर की स्थापना की, तब उन्होंने इसे सुरक्षित रखने के लिए देबारी के घाटे में इस दरवाजे के साथ एक मजबूत परकोटा भी बनवाया।
उस समय इस पूर्वी दरवाजे की सुरक्षा का जिम्मा देवड़ा सरदारों के हाथ में हुआ करता था। यह दरवाजा अकबर, जहांगीर और औरंगजेब के साथ युद्ध में दो बार तोड़ दिया गया जिसे महाराणा राज सिंह ने वापस बनवाया।
बताया जाता है कि रियासतकाल में इस दरवाजे में एक छोटी बारी यानी खिड़की हुआ करती थी जिस वजह से इसे देवबारी कहा जाता था। समय के साथ यह देवबारी, देबारी में बदल गया।
एक किवदंती के अनुसार जब महाराणा प्रताप को उबेश्वर में मुगलों ने घेरने की कोशिश की, तब उबेश्वर महादेव का शिवलिंग बीच में से फट गया और उसमें से मधुमक्खियों ने निकलकर मुगलों पर आक्रमण करके उन्हें देबारी दरवाजे के बाहर तक भगा दिया।
उसके बाद इन मधुमक्खियों ने देबारी के इस दरवाजे पर ही छत्ता बनाकर रहना शुरू कर दिया। आज भी आपको इस दरवाजे के आसपास मधुमक्खियों के कई छत्ते दिख जाएँगे।
देबारी का राजराजेश्वर महादेव मंदिर - Rajrajeshwar Mahadev Temple of Debari
अब हम देबारी दरवाजे के सामने ऊँची जगती यानी प्लेटफॉर्म पर बने राजराजेश्वर महादेव मंदिर के बारे में बात करते हैं। स्तंभों पर टिके इस भव्य मदिर के गर्भगृह में काले पत्थर से बना चारमुखी शिवबाण मौजूद है।
शिवबाण प्रतिमा के चारों मुख अलग-अलग तरह के चार भाव दर्शाते हैं जिनमें पूर्व में शांति रस, दक्षिण में रौद्र रस, पश्चिम में प्रेम रस और उत्तर में अद्भुत रस का भाव है।
मंदिर में स्तंभों के साथ कई जगह पर सुंदर प्रतिमाएँ लगी हुई हैं जो मंदिर की सुंदरता में चार चाँद लगा देती हैं।
इस मंदिर और इसके सामने बावड़ी के साथ एक धर्मशाला का निर्माण महाराणा राजसिंह की मृत्यु के बाद उनकी माताजी बख्त कँवर या बख्त कुँवरी ने जनकल्याण के लिए करवाया था।
देबारी की बावड़ी और धर्मशाला - Step well and Dharamshala of Debari
अब हम मंदिर के सामने बनी हुई बावड़ी के बारे में बात करते हैं। ये बावड़ी एक मुखी है जिसमें 48 सीढ़ियाँ बनी है। बावड़ी में खंभों से बने दो मंडप, 3 परिधि और 29 ताके हैं।
बावड़ी की इन ताको में कई देवी देवताओं की मूर्तियाँ लगी हुई थी लेकिन अब इनमें कुछ ही बची हैं, जो बची हैं उनमें गजलक्ष्मी, हनुमान, गणेश, विष्णु, काली माता और कार्तिकेय शामिल हैं।
बावड़ी का एक हिस्सा और इसके पास मौजूद धर्मशाला को हाईवे बनाते समय तोड़ दिया गया है। इस बावड़ी और इसके पास की धर्मशाला को भी महाराणा राज सिंह की माताजी ने ही बनवाया था।
देबारी की छतरियाँ - Cenotaphs of Debari
राज राजेश्वर मंदिर के लेफ्ट साइड में ऊँचाई पर यानी देबारी दरवाजे के सामने तीन ऐतिहासिक छतरियाँ बनी हुई हैं। ये छतरियाँ इस दरवाजे के पास हुए युद्ध में शहीद हुए योद्धाओं की हैं।
इन छतरियों में बीच वाली छतरी गौरा सिंह राठौड़ यानी बल्लू दासोत की है जो 1679-80 ईस्वी में औरंगजेब की सेना के साथ हुए देबारी के युद्ध में लड़ते हुए शहीद हुए थे।
गोरा सिंह राठौड़ उन बल्लू चांपावत के पुत्र थे जिनके बारे में कहा जाता है कि उनका जन्म एक बार हुआ, मृत्यु दो बार हुई और अंतिम संस्कार तीन बार हुआ।
एक किवदंती के अनुसार देबारी की यह छतरी खुद बल्लू चांपावत की है। बल्लू चांपावत ने मेवाड़ के महाराणा को दिया वचन निभाने के लिए मरने के बाद भी इस युद्ध में लड़कर दुबारा वीरगति पाई थी।
देबारी समझौता - Debari Agreement
देबारी की यह जगह एक ऐतिहासिक समझौते के लिए भी जानी जाती है जिसे देबारी समझौता कहा जाता है।
यह समझौता 1708 ईस्वी यानी औरंगजेब की मौत के एक साल बाद में उदयपुर के महाराणा अमर सिंह द्वितीय, जयपुर के राजा सवाई जय सिंह और जोधपुर के राजा अजीत सिंह के बीच हुआ।
इस समझौते के अनुसार तीनों रियासतों की सेना मिलकर मुगलों से युद्ध करके जयपुर और जोधपुर पर अधिकार करके उन्हें वापस जयसिंह और अजीत सिंह को सौंपेगी।
साथ ही जयपुर के राजा सवाई जय सिंह का विवाह उदयपुर के महाराणा अमर सिंह द्वितीय की पुत्री चंद्रकुंवर के साथ होगा और इनसे पैदा होने वाला पुत्र ही जयपुर का राजा बनेगा।
देबारी दरवाजा और राज राजेश्वर महादेव मंदिर के पास घूमने की जगह - Places to visit near Debari Gate and Raj Rajeshwar Mahadev Temple
अगर हम देबारी दरवाजे के पास घूमने की जगह के बारे में बात करें तो आप उदय सागर झील और दरवाजे के पास घाटा वाली माता का मंदिर देख सकते हैं।
देबारी दरवाजा और राज राजेश्वर महादेव मंदिर कैसे जाएँ? - How to reach Debari Darwaza and Raj Rajeshwar Mahadev Temple?
अब हम बात करते हैं कि देबारी दरवाजे तक कैसे जाएँ? उदयपुर रेलवे स्टेशन से देबारी दरवाजे की दूरी 13 किलोमीटर है। यहाँ तक जाने के लिए पक्की सड़क बनी हुई है।
उदयपुर रेलवे स्टेशन से इस दरवाजे तक जाने के लिए आपको उदयपुर चित्तौड़गढ़ हाईवे पर देबारी घाटी उतरते ही लेफ्ट साइड में जाना है।
अगर आप ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरों को एक साथ एक जगह पर देखना चाहते हैं तो आपको इस जगह को जरूर देखना चाहिए।
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इस तरह की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।
देबारी दरवाजा और राज राजेश्वर महादेव मंदिर की मैप लोकेशन - Map location of Debari Gate and Raj Rajeshwar Mahadev Mandir
देबारी दरवाजा और राज राजेश्वर महादेव मंदिर का वीडियो - Video of Debari Gate and Raj Rajeshwar Mahadev Mandir
देबारी दरवाजा और राज राजेश्वर महादेव मंदिर की फोटो - Photos of Debari Gate and Raj Rajeshwar Mahadev Mandir
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
डिस्क्लेमर (Disclaimer)
इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।