मरने के बाद भी युद्ध करने क्यों आया यह योद्धा? - Ballu Ji Champawat Chhatri Debari

मरने के बाद भी युद्ध करने क्यों आया यह योद्धा? - Ballu Ji Champawat Chhatri Debari, इसमें बल्लूजी चंपावत और देबारी में बनी उनकी छतरी की जानकारी दी है।

Ballu Ji Champawat Chhatri Debari

देबारी दरवाजे के सामने तीन ऐतिहासिक छतरियाँ बनी हुई हैं। ये छतरियाँ इस दरवाजे के पास हुए युद्ध में शहीद योद्धाओं की हैं।

यहाँ पर मौजूद एक लेख के अनुसार इन छतरियों में बीच वाली छतरी गौरा सिंह राठौड़ यानी बल्लू दासोत की है जो 1679-80 ईस्वी में औरंगजेब की सेना के साथ हुए देबारी के युद्ध में लड़ते हुए शहीद हुए थे।

गोरा सिंह राठौड़ उन बल्लू चांपावत के पुत्र थे जिनके बारे में कहा जाता है कि उनका जन्म एक बार हुआ, मृत्यु दो बार हुई और अंतिम संस्कार तीन बार हुआ।

लेकिन एक किवदंती के अनुसार देबारी की यह छतरी खुद बल्लू चांपावत की है। बल्लूजी जब मेवाड़ के महाराणा की सेवा में थे तब उन्होंने महाराणा को जरूरत पड़ने पर आने का वचन दिया था।

जब औरंगजेब ने मेवाड़ पर आक्रमण किया तब महाराणा राज सिंह ने उन्हें याद किया। कहते हैं कि अपना वचन निभाने के लिए बल्लूजी मरने के बाद भी वापस युद्ध करने आए और लड़ते हुए फिर से शहीद हुए।

देबारी दरवाजे के सामने बल्लू जी का दाह संस्कार करके उनकी याद में इस छतरी का निर्माण करवाया गया। इस तरह देबारी के अंदर बल्लूजी का दूसरा दाह संस्कार हुआ।

आपको बता दें कि बल्लूजी का पहला दाह संस्कार देबारी के युद्ध से 35 साल पहले यानी 1644 ईस्वी में आगरा में यमुना नदी के किनारे पर हुआ था । 

जब आगरा के किले में नागौर के राजा अमर सिंह राठौड़ की धोखे से हत्या करके उनकी लाश को किले की बुर्ज पर रखवा दिया, तब अमर सिंह की रानियों ने उनका शव लाने की जिम्मेदारी बल्लूजी को दी।

बल्लूजी अपने राजा अमर सिंह के अंतिम दर्शन के बहाने किले में गए और अमर सिंह के शव को घोड़े पर रखकर बुर्ज से छलांग लगा दी। अमर सिंह की लाश को रानियों के पास भिजवा कर बल्लूजी लड़ते हुए शहीद हो गए।



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें। जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट भी हूँ इसलिए मैं लोगों को वीडियो और ब्लॉग के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारियाँ भी देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर ट्रैवल और हेल्थ से संबंधित मेरे लेख पढ़ सकते हैं।

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