राजस्थान में कच्छ के रण जैसी शानदार जगह - Sambhar Salt Lake in Hindi, इसमें जयपुर के पास भारत की खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील की जानकारी दी गई है।
राजस्थान में जयपुर के पास सफेदी लिए एक ऐसी शानदार जगह है जहाँ जाने पर कच्छ के रण में जाने जैसा सुंदर एहसास होता है।
देश की सबसे बड़ी खारे पानी की झील होने की वजह से यह जगह नमक पैदा करने के साथ-साथ एक टूरिस्ट प्लेस के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है।
इस झील का इतिहास भगवान राम और राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य के साथ-साथ अजमेर के चौहान वंश से भी जुड़ा हुआ है। साथ ही झील में अजमेर के चौहान वंश की कुलदेवी भी विराजती है।
इस जगह आमिर खान की पीके फिल्म के साथ दिल्ली 6, रामलीला, शेर, गुलाल, जोधा अकबर, द्रोणा, हाइवे और वीर जैसी कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है।
यह जगह रामसर साइट होने की वजह से फ्लेमिंगो, पेलिकन और क्रेन जैसे कई प्रवासी जल पक्षियों के लिए आवास का काम भी करती है।
तो आज हम देश का सबसे ज्यादा नमक पैदा करने वाली खारे पानी की इस झील के साथ इसके किनारे पर मौजूद टूरिस्ट प्लेसेज के बारे में जानते हैं, आइए शुरू करते हैं।
सांभर झील की विशेषता - Features of Sambhar Lake
खारे पानी की इस झील को सांभर झील के नाम से जाना जाता है जो 90 वर्ग मील यानी लगभग 225 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। यह झील भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है।
इस झील में कई नदियों का पानी आता है जिसमें मेड़ता, सामोद, मंथा, रूपनगढ़, खारी और खंडेला आदि शामिल हैं।
यह झील खारे पानी और उथले खारे दलदलों से बनी है जिसमें 10 से 20 प्रतिशत तक लवणता है यानि खारापन है। झील के पानी से नमक बनाने और बेचने का काम सांभर साल्ट्स लिमिटेड नाम की कंपनी कर रही है।
इस झील के पानी से हजारों सालों से नमक पैदा किया जा रहा है। मुगल काल में दिल्ली में बैठे मुगल बादशाहों के लिए नमक की आपूर्ति भी इस झील से ही होती थी।
पहले अजमेर के चौहान वंश के अधिकार में रहने के बाद इस झील पर जयपुर और जोधपुर का संयुक्त रूप से अधिकार हो गया था। बाद में अंग्रेजों के आने के बाद यह अंग्रेजों के अधिकार में आ गई।
यह झील रामसर साइट (Ramsar Site) होने की वजह से फ्लेमिंगो, पेलिकन, क्रेन जैसे कई प्रवासी जल पक्षियों के लिए आवास भी है।
रामसर साइट का मतलब अंतरराष्ट्रीय महत्व की ऐसी आर्द्रभूमि साइट (Wetland site) से होता है जिसका पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) जलीय जीवों के लिए अनुकूल होता है।
यह झील कच्छ के रण जैसी सुंदर होने की वजह से एक टूरिस्ट प्लेस होने के साथ-साथ पक्षी प्रेमियों की भी पसंदीदा जगह है। पर्यटकों को लुभाने के लिए इस जगह सांभर महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है।
झील में जब पानी की कमी हो जाती है तब लोग इसमें अपनी कार और बाइक को इधर उधर सरपट दौड़ाकर मजे करते हैं। गाड़ियों के चलने से इनके पीछे नमकीन रेतीला गुबार उड़ता है जो देखने में काफी आकर्षक लगता है।
झील में जगह-जगह नमक बनाने के लिए गुलाबी रंग की पानी की क्यारियाँ बनी हुई है। दूर से ये क्यारियाँ बड़ी सुंदर लगती हैं।
इन क्यारियों से बनने वाले नमक को स्टोरेज एरिया तक ले जाने के लिए झील के बीच में मीटर गेज और नैरो गेज की पटरियाँ बिछी हुई हैं जिन पर लकड़ी और लोहे से बनी ट्रेन में नमक लेकर जाया जाता है।
नमक को स्टोरेज एरिया तक पहुँचाने के लिए अंग्रेजों ने 1876 ईस्वी में इन पटरियों को बिछाया था। आज सांभर झील में लगभग 45 किलोमीटर मीटर गेज और 25 किलोमीटर नैरो गेज पटरियाँ मौजूद हैं।
झील में आने वाले पर्यटक झील को देखने के साथ-साथ नमक की इस अनोखी रेल को भी देखते हैं। झील और ट्रेन दोनों पीके, दिल्ली 6, रामलीला, शेर, गुलाल, जोधा अकबर, द्रोणा, हाइवे और वीर जैसी फिल्मों में दिखाई दे चुकी हैं।
सांभर झील का इतिहास - History of Sambhar Lake
अगर हम सांभर झील के इतिहास के बारे में बात करें तो इनका इतिहास हजारों साल पुराना है। इस झील का इतिहास कुछ किवदंतियों के रूप में भी मौजूद है।
एक किवदंती के अनुसार रामायण काल में इस जगह पर समुद्र हुआ करता था। भगवान राम ने लंका जाते समय समुद्र पर जो बाण छोड़ा था वो इसी जगह पर आकर गिरा था।
बाण के असर से इस जगह का समुद्र सूख गया और अवशेष के रूप में केवल यह झील बच गई। आज भी इस झील को समुद्र का अंश ही माना जाता है।
एक दूसरी किवदंती के अनुसार महाभारत काल में इस क्षेत्र पर असुर राजा वृषपर्व का राज था और यहाँ पर असुरों के कुलगुरु शुक्राचार्य निवास करते थे।
आज भी सांभर झील के एक किनारे पर राजा ययाति की इन दोनों पत्नियों देवयानी और शर्मिष्ठा के नाम पर दो पवित्र कुंड बने हुए हैं।
एक और किवदंती के अनुसार चौहान वंश के राजा वासुदेव चौहान की भक्ति से प्रसन्न होकर शाकंभरी माता ने उन्हें वरदान दिया।
वरदान के बदले राजा को चाँदी की जमीन मिली लेकिन राजा के मना करने पर माता ने चाँदी वाली जमीन को कच्ची चाँदी यानी नमक में बदल दिया जिससे ये झील बनी।
सांभर झील पर घूमने की जगह - Places to visit at Sambhar Lake
जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि सांभर झील लगभग 200 वर्ग किलोमीटर के एरिया में फैली हुई एक ऐतिहासिक जगह है। यहाँ पर कुछ पौराणिक धार्मिक जगह है जिन्हें आपको जरूर देखना चाहिए।
शाकंभरी माता मंदिर - Shakambhari Mata Temple
झील के बीच में शाकंभरी माता मंदिर के रूप में सिद्ध शक्ति पीठ मौजूद है जिसे शाकंभरी के अलावा सांभवी और समराय माता के नाम से भी जाना जाता है। माता को अजमेर के चौहान वंश की कुलदेवी माना जाता है।
बताया जाता है कि इस मंदिर में पहाड़ से निकली माता की स्वयंभू प्रतिमा के घुटने की पूजा होती है। मंदिर के पीछे पहाड़ी के ऊपर एक छतरी बनी हुई है जिसे मुगल बादशाह जहांगीर ने बनवाया था।
देवयानी और शर्मिष्ठा कुंड - Devyani Kund and Sharmishtha Kund
महाभारत काल में सांभर क्षेत्र पर असुर राजा वृषपर्व का राज था और यहाँ पर असुरों के कुलगुरु शुक्राचार्य निवास करते थे।
इसी जगह पर शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी का विवाह राजा ययाति के साथ हुआ था। बाद में इनका विवाह दैत्यराज वृषपर्व की पुत्री शर्मिष्ठा से भी हुआ।
आज भी सांभर झील के एक किनारे पर राजा ययाति की इन दोनों पत्नियों देवयानी और शर्मिष्ठा के नाम पर दो कुंड बने हुए हैं।
देवयानी सरोवर - Devyani Sarovar
देवयानी कुंड को पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है। कुंड में चारों तरफ एक दर्जन से ज्यादा घाट बने हुए हैं और कई मंदिर बने हुए हैं जिनमें एक मंदिर देवयानी का खुद का भी है।
इन मंदिरों में 9 ब्राह्मण परिवार पूजा अर्चना करते हैं। सरोवर में कई जीव जन्तु रहते हैं जिनमें मछलियाँ, साँप आदि शामिल हैं।
देवयानी दैत्यगुरु शुक्राचार्य की पुत्री थी जिस वजह से इस कुंड को सभी तीर्थों की नानी का दर्जा दिया गया है।
देवयानी सरोवर में कार्तिक के महीने में व्रत करने वाली महिलाएँ विशेष रूप से स्नान करने आती हैं। यह पवित्र स्नान कार्तिक की देवउठनी एकादशी से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है।
बताया जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद अश्वथामा ने इस जगह पर तपस्या करके स्नान किया था। कुंड पर आज भी अश्वथामा का चबूतरा बना है और बताया जाता है कि इस चबूतरे पर बैठकर ही उन्होंने तपस्या की थी।
सरोवर के किनारे पर आमेर के राजाओं द्वारा बनवाया गया शीशमहल भी बना हुआ है। शीशमहल की नक्काशी और खंभे आज भी अपनी प्राचीन सुंदरता को दर्शाते हैं।
शर्मिष्ठा सरोवर - Sharmishtha Sarovar
देवयानी सरोवर से थोड़ा आगे शर्मिष्ठा सरोवर बना हुआ है। जैसा कि हमने आपको बताया कि शर्मिष्ठा दैत्यराज वृषपर्व की पुत्री थी जिनका विवाह भी राजा ययाति के साथ हुआ था।
शर्मिष्ठा सरोवर को भी बड़ा पवित्र माना जाता है लेकिन देवयानी सरोवर के सामने इसका महत्व काफी कम रह गया है।
संत दादू दयाल की साधना स्थली - Dadu Dayal Ki Chhatri
सांभर झील के बीच में एक छतरी के रूप में संत दादू दयाल की साधना स्थली बनी हुई है। कहते हैं कि दादू दयाल ने इस जगह पर 12 सालों तक तपस्या की थी। छतरी के अंदर दादू दयाल के चरण चिन्ह बने हुए हैं।
दादू दयाल को राजस्थान का कबीर कहा जाता है। इस छतरी तक जाने के लिए नमक की क्यारियों के बीच बने रास्ते से होकर जाना पड़ता है।
सांभर झील कैसे जाएँ? - How to reach Sambhar Lake?
अब हम बात करते हैं कि सांभर झील कैसे जाएँ? सांभर झील सांभर कस्बे के पास में है। सांभर कस्बे की जयपुर से दूरी लगभग 70 किलोमीटर है।
आप यहाँ पर ट्रेन और कार दोनों से जा सकते हैं। जयपुर से सांभर के लिए ट्रेन की अच्छी कनेक्टिविटी है।
अगर आप जयपुर से कार या टैक्सी द्वारा सांभर झील जा रहे हैं तो आप जोबनेर, फुलेरा होते हुए या फिर अजमेर हाईवे पर मोखमपुरा, बिचून, अकोदा होते हुए सांभर जा सकते हैं।
जोधपुर, नागौर, चुरू की तरफ से आने वाले लोग नावाँ होते हुए सांभर आ सकते हैं। नावाँ भी सांभर झील के एक किनारे पर बसा हुआ है।
अगर आप गुजरात के कच्छ के रण जैसी जगह के साथ कुछ ऐतिहासिक धार्मिक जगहों को देखना चाहते हैं तो आपको इस जगह जरूर जाना चाहिए।
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इस तरह की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।
सांभर झील की मैप लोकेशन - Map location of Sambhar Salt Lake
सांभर झील का वीडियो - Video of Sambhar Salt Lake
सांभर झील की फोटो - Photos of Sambhar Salt Lake
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
डिस्क्लेमर (Disclaimer)
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