सांभर झील में ऐसे हुई नमक बनाने की शुरुआत - Sambhar Lake Salt Production History

सांभर झील में ऐसे हुई नमक बनाने की शुरुआत - Sambhar Lake Salt Production History, इसमें सांभर झील के पानी से नमक बनाने की विधि के बारे में जानकारी है।

Sambhar Lake Salt Production History

चौहान वंश के राजाओं का साम्राज्य अजमेर से दिल्ली तक फैला हुआ था और सांभर इसकी राजधानी थी। झील के बीच में विराजी शाकंभरी माता इनकी कुलदेवी थी।

चौहान वंश के बाद जोधपुर के राठौड़ वंश ने इस पर कब्जा किया। जयपुर के सवाई जयसिंह के समय इस झील पर अधिकार के लिए जयपुर और जोधपुर रियासत के बीच युद्ध हुआ।

युद्ध में हुए समझौते के अनुसार इस झील पर जयपुर और जोधपुर रियासत का संयुक्त रूप से कब्जा हो गया यानी झील के आधे हिस्से पर जयपुर और बाकी आधे हिस्से पर जोधपुर का अधिकार माना गया।

आज भी सांभर में मौजूद जयपुर और जोधपुर के अलग-अलग बाजार इस संयुक्त कब्जे की मूक गवाही देते हैं। अंग्रेजों ने भारत में आने के बाद इस झील को अपने अधिकार में ले लिया।

इन्होंने झील में रेल लाइन डालकर सांभर साल्ट लिमिटेड कम्पनी के द्वारा सबसे पहले नमक बनाना शुरू किया। आज सांभर झील में भारत का कुल 12 प्रतिशत नमक पैदा होता है।

सांभर साल्ट लेक देश की सबसे बड़ी खारे पानी झील है जिससे हर साल 2,10,000 टन से ज्यादा नमक बनाया जाता है। सांभर में जो नमक बनता है वो पूरी तरह प्राकृतिक तरीके से बनाया जाता है।

सांभर झील में नमक बनाने के लिए नमकीन पानी को कई कंटासरों में घूमाने के बाद 25 डिग्री तक खारा बनाया जाता है। इसके बाद इसे जमीन में बनाई गई क्यारियों में डाल कर जमाया जाता है।

इन क्यारियों से बनने वाले नमक को स्टोरेज एरिया तक ले जाने के लिए झील के बीच में मीटर गेज और नैरो गेज की पटरियों पर लकड़ी और लोहे से बनी ट्रेन में लेकर जाया जाता है।

नमक को स्टोरेज एरिया तक पहुँचाने के लिए अंग्रेजों ने 1876 ईस्वी में इन पटरियों को बिछाया था। आज सांभर झील में लगभग 45 किलोमीटर मीटर गेज और 25 किलोमीटर नैरो गेज पटरियाँ मौजूद हैं।



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

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रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें। जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट भी हूँ इसलिए मैं लोगों को वीडियो और ब्लॉग के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारियाँ भी देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर ट्रैवल और हेल्थ से संबंधित मेरे लेख पढ़ सकते हैं।

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