जिन्न और भूतों के कारण भोलेनाथ कहलाए भूतेश्वर महादेव - Bhuteshwar Mahadev Mandir, इसमें आमेर के जंगल में भोलेनाथ के प्राचीन मंदिर की जानकारी दी है।
2100 साल पुराना भूतेश्वर महादेव मंदिर आमेर के जंगल में होने के कारण चारों तरफ से ऊँची-ऊँची पहाड़ियों से घिरा हुआ है।
कहते हैं कि पुराने समय में इस एरिया में बहुत से जिन्न और भूत रहा करते थे जिस वजह से इस मंदिर का नाम भूतेश्वर महादेव पड़ गया।
मंदिर में जो भी पुजारी आता था उसे ये जिन्न भूत मार देते थे। बाद में यहाँ पर मंगल बंदी नाम के एक तपस्वी महात्मा आए और इन्होंने अपनी तपस्या के बल पर इन पर काबू पाया।
उस समय के बाद में यहाँ पर पुजारी नियमित रूप से पूजा करने लगे। मंगल बंदी महाराज मंदिर के पास ही तप स्थल पर तपस्या में लीन रहते थे। आज भी मंदिर के पीछे दाँई तरफ इनका तप स्थल मौजूद है।
बताया जाता है कि महाराज के पास पालतू कुत्तों की तरह शेर बैठे रहते थे। महाराज इन्हें तालाब में पानी पिलाने भी लेकर जाते थे।
महाराज के साथ उनके चार शिष्य भी रहते थे जिनके नाम केदार बंदी, शंकर बंदी आदि थे। मंगल बंदी महाराज ने इस जगह जीवित समाधि ली थी। मंदिर के बिलकुल पीछे बाईं तरफ इनकी समाधि बनी हुई है।
मंदिर के सामने की तरफ पहाड़ी पर मीणा राजाओं द्वारा निर्मित प्राचीन किले कुंतलगढ़ के खंडहर मौजूद हैं। आपको बता दें कि कछवाहा राजवंश से पहले आमेर रियासत पर मीणा राजाओं का शासन था।
गर्भगृह के अन्दर प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग मौजूद हैं। शिवलिंग की लम्बाई ढाई फीट के लगभग है। शिवलिंग अपने आप में काफी अलौकिक है।
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
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