तीन धाराओ के संगम पर पवित्र तीर्थ स्थल - Triveni Dham, इसमें तीन पवित्र जलधाराओं के संगम पर संतों की भूमि त्रिवेणी धाम के बारे में जानकारी दी गई है।
जयपुर दिल्ली हाईवे पर शाहपुरा के निकट अरावली पर्वतमाला के बीच तीन नदियों के संगम स्थल पर स्थित त्रिवेणी धाम कई सिद्ध महात्माओं की तपोस्थली के रूप में विख्यात है।
यहाँ के प्रमुख संतों में गंगादासजी, जानकीदासजी, रामदासजी, भजनदासजी, भगवानदासजी और नारायणदासजी का नाम प्रमुख है।
इस जगह पर तीन पवित्र जल धाराओं का संगम होता है जिस वजह से इसे त्रिवेणी के नाम से जाना जाता है। इसे धाराजी के नाम से भी जाना जाता है।
त्रिवेणी का पानी इतना पावन है कि इसे छूने मात्र से ही सभी पाप धुल जाते हैं। प्राचीन समय में इस जगह के लोगों के लिए त्रिवेणी धाम ही प्रयागराज के संगम की तरह एक पावन तीर्थ था।
यहाँ पर मुर्दों की अंत्येष्टि होने के साथ-साथ इनकी अस्थियाँ भी इस पानी में प्रवाहित की जाती थी। कहते हैं कि अपने अज्ञातवास के समय एक बार पांडव भी इस जगह पर आए थे और उन्होंने इस जल से अपनी तृष्णा शांत की थी।
इस वजह से इस स्थान को पांडव धारा या तृष्ण वेणी के नाम से भी जाना जाता है। पहले त्रिवेणी की धारा वर्ष भर बहती रहती थी लेकिन अब ये धारा सिर्फ बारिश के मौसम में ही नजर आती है।
त्रिवेणी धाम परिसर में कई धार्मिक स्थान हैं जिनमें नृसिंह मंदिर, श्री राम चरित मानस भवन, गंगा माता मंदिर, हनुमान मंदिर, विश्व प्रसिद्ध यज्ञशाला, अवधपुरी धाम आदि प्रमुख है।
विक्रम संवत 1795 में भरतदासजी काठिया के शिष्य ऋषिराज आचार्य गंगादासजी काठिया ने त्रिवेणी धाम की स्थापना की एवं यहाँ पर श्री नृसिंह स्वरुप शालिग्राम विग्रह भी स्थापित किया।
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
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