कच्ची चाँदी के बीच स्वयंभू माता का मंदिर - Shakambhari Mata Mandir, इसमें सांभर झील के बीच में चौहान राजवंश की कुलदेवी के मंदिर के बारे में जानकारी है।
भारत में सबसे ज्यादा नमक पैदा करने वाली खारे पानी की सांभर झील के बीच में शाकंभरी माता की सिद्ध शक्ति पीठ मौजूद है जिसे सांभवी और समराय माता के नाम से भी जाना जाता है।
सांभर झील के बीच में पहाड़ी के एक कोने पर माता का मंदिर बना हुआ है। ऐसी मान्यता है कि देवी की प्रतिमा इस पहाड़ से प्रकट हुई थी इसलिए एक तरह से पूरे पहाड़ को ही देवी के रूप में पूजा जाता है।
मंदिर के अंदर काँच की सुंदर कारीगरी वाले गर्भगृह में माताजी विराजती हैं। माताजी की शृंगार की हुई प्रतिमा काफी बड़ी और भव्य है लेकिन ये माता की स्वयंभू प्रतिमा नहीं है।
माता की ओरिजिनल स्वयंभू प्रतिमा इस प्रतिमा के शृंगार के पीछे छिप जाती है इसलिए श्रद्धालुओं को माता की ओरिजिनल प्रतिमा के दर्शन ना होकर इस प्रतिमा के ही दर्शन हो पाते हैं। बताया जाता है कि मंदिर में पहाड़ से निकली माता की स्वयंभू प्रतिमा के घुटने की पूजा होती है।
मंदिर के सामने झील के अंदर लाखड़िया भैरव का मंदिर बना हुआ है। पहले इनको लांगड़िया भैरव कहा जाता था। कहते हैं कि माता के दर्शन के बाद इनके दर्शन करने जरूरी हैं नहीं तो माता के दर्शन अधूरे माने जाते हैं।
मंदिर के पीछे इससे सटी पहाड़ी के ऊपर एक छतरी बनी हुई है। इस छतरी को मुगल बादशाह जहांगीर ने बनवाया था। छतरी के अंदर उस समय का एक लेख भी लिखा हुआ है।
छतरी से सांभर झील का दूर-दूर तक सुंदर नजारा होता है। झील में जब पानी कम होता है तब चारों तरफ दूर-दूर तक नमक मिली हुई सफेद जमीन दिखाई देती है।
पूरी झील में इस पहाड़ी को छोड़कर कहीं पर भी हरियाली नहीं है। झील के अंदर आपको कार और बाइक को फुलस्पीड में चलाकर एडवेंचर करते लोग नजर आ जाएँगे।
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
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