रींगस के भेरुजी का चमत्कारी मंदिर - Ringas Bheruji

रींगस के भेरुजी का चमत्कारी मंदिर - Ringas Bheruji, इसमें खाटू के पास रींगस के चमत्कारी मसाणिया भैरू यानी भैरव मंदिर के बारे में जानकारी दी गई है।

Ringas Bheruji

रींगस का भैरू जी का मंदिर अपने चमत्कारों के लिए काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर का संबंध सती माता के साथ और भैरव सिंह शेखावत के साथ भी जुड़ा हुआ है।

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारत के उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत का जन्म भी भैरव बाबा की कृपा से हुआ था जिसकी वजह से उनका नाम इनके नाम पर भैरव सिंह रखा गया।

जयपुर से कई बार लोकसभा सांसद रहे स्वर्गीय गिरधारी लाल भार्गव अपने चुनाव का परिणाम भैरव बाबा के सामने बैठ कर ही सुनते थे।

साक्षात काल भैरव का स्वरूप माना जाने वाला यह मंदिर श्मशान के बीच में बना हुआ है। श्मशान में स्थित होने की वजह से इन्हें मसानिया भैरू (मसाणिया भैरू) के नाम से भी जाना जाता है।

कुछ सालों पहले तक यहाँ पर मंदिर की जगह मात्र एक चबूतरा ही भैरूजी का स्थान था। अब मंदिर का विकास करके इसे भव्य बनाया गया है।

मंदिर की अंदर की दीवारों पर काँच की सुंदर नक्काशी की गई है। साथ ही जगह-जगह भगवान शिव के कई रूपों के सुन्दर चित्र बने हुए हैं।

ऐसा बताया जाता है कि जो भी कोई सच्चे मन से यहाँ आता है उसकी सभी मनोकामनाएँ अवश्य पूरी होती है। जिन लोगों के संतान नहीं होती उन्हें यहाँ आने पर संतान की प्राप्ति हो जाती है। साथ ही शारीरिक दुःख दर्दों से भी मुक्ति मिलती है।

मंदिर के पास में ही एक जोहड़ है। इस जोहड़ में नहाने से सारे चर्म रोगों से मुक्ति मिल जाती है, साथ ही जिस औरत के संतान नहीं होती उसको संतान की प्राप्ति हो जाती है।



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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