कपिल मुनि ने अपनी माता के लिए बनाई यह झील - Kolayat Lake

कपिल मुनि ने अपनी माता के लिए बनाई यह झील - Kolayat Lake, इसमें बीकानेर के कोलायत में कपिल मुनि द्वारा अपनी माता के लिए बनाई गई झील की जानकारी दी है।

Kolayat Lake

बीकानेर के कोलायत में मौजूद एक तालाब को कपिल सरोवर या कोलायत झील के नाम से जाना जाता है जो कि हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।

किसी जमाने में सरस्वती नदी के किनारे पर मौजूद इस झील का पानी इतना ज्यादा पवित्र बताया जाता है कि इसमें नहाने से मनुष्य जन्म मृत्यु के बंधन से आजाद हो जाता है यानी उसे मोक्ष मिल जाती है।

यह जगह भगवान विष्णु के पाँचवे अवतार कपिल मुनि का जन्मस्थान मानी जाती है जिनका मंदिर आज भी सरोवर के किनारे पर बना हुआ है।

इस सरोवर में श्रद्धालुओं के स्नान के लिए कई घाट बने हुए हैं। इन घाटों के किनारे पर कई मंदिर बने हुए हैं जिनमें सबसे मुख्य मंदिर कपिल मुनि का है जिसे लगभग डेढ़ हजार साल से भी ज्यादा पुराना माना जाता है।

घाट पर एक जगह पीपल के पेड़ के नीचे एक समाधि बनी हुई है जहाँ पर कपिल मुनि के चरण चिन्ह बने हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर इन्होंने अपना शरीर त्यागा था।


कपिल मुनि को सांख्य दर्शन का जन्मदाता माना जाता है। इन्होंने सांख्य दर्शन का सबसे पहला ज्ञान अपनी माता देवहूति को इसी जगह पर दिया था।

बुढ़ापे में जब इनकी माता को तीर्थयात्रा करने की इच्छा हुई तो कपिल मुनि ने भारत के सभी 68 तीर्थ और चार धामों के जल को इकठ्ठा करके इस सरोवर की स्थापना करके अपनी माता को इसमें स्नान करवाया।

इस तरह कोलायत झील की उत्पत्ति खुद कपिल मुनि ने की थी ताकि वो अपनी माता को सभी तीर्थ और चारों धामों की यात्रा का फल एक साथ दिला सकें।


लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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