चमत्कारी कुंड में नहाने से दूर हो जाते हैं चर्म रोग - Ganeshwar Dham

चमत्कारी कुंड में नहाने से दूर हो जाते हैं चर्म रोग - Ganeshwar Dham, इसमें हजारों साल पुराने शिवजी की भूमि और गालव गंगा कुंड की जानकारी दी गई है।

Ganeshwar Dham

गणेश्वर धाम का तीर्थ के रूप में विशेष महत्व है। यह भूमि भगवान शिव की भूमि मानी जाती है और इसका गणेश्वर नाम भी गणों के ईश्वर यानी भोलेशंकर के नाम पर पड़ा है।

वैसे तो यहाँ पर कई मंदिर है पर सबसे प्राचीन भगवान शिव का वह मंदिर है जिसकी वजह से इस जगह का नाम गणेश्वर पड़ा। इस मंदिर का शिवलिंग काले पत्थर का बना हुआ है जो हजारों साल पुराना है।

यह भूमि गालव ऋषि की तपोभूमि के रूप में भी विख्यात है। इस बात का प्रमाण इस शिव मंदिर के पास में स्थित कुंड का मौजूद होना है। इस कुंड को गालव कुंड के नाम से जाना जाता है।

इस कुंड में एक गौमुख बना हुआ है जिसको गालव कुंड के नाम से जाना जाता है। इस कुंड के गौमुख से गालव गंगा रूपी झरना प्राकृतिक रूप से 12 महीने बहता रहता है।


गोमुख से बहने वाला यह पानी प्राकृतिक रूप से गुनगुना है। आस्था के हिसाब से अगर बात की जाए तो इस पानी से नहाने पर सभी प्रकार के चर्म रोग दूर हो जाते हैं।

यहाँ पहाड़ी पर पत्थरों की बनी हुई बहुत सी बड़ी-बड़ी हवेलियाँ मौजूद हैं जिनमें से अब कुछ ही सुरक्षित बची है बाकी जीर्ण-शीर्ण होकर चमगादड़ों के घरों में बदल चुकी हैं।

ऐतिहासिक रूप से भी गणेश्वर एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। यहाँ पर पुरातत्त्व विभाग को 2800 ईसा पूर्व की एक सभ्यता के अवशेष मिले हैं। यह सभ्यता ताम्र युगीन सभ्यता की जननी के रूप में जानी जाती है जिसे पुरातत्व का पुष्कर भी कहते हैं।


लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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