इतने सालों के बाद चित्तौड़गढ़ में होगा राजतिलक - Mewar Ke Maharana Ka Rajtilak

इतने सालों के बाद चित्तौड़गढ़ में होगा राजतिलक - Mewar Ke Maharana Ka Rajtilak, इसमें मेवाड़ के 77वें महाराणा विश्वराज सिंह के राजतिलक की जानकारी दी है।

Mewar Ke Maharana Ka Rajtilak

यूँ तो मेवाड़ रियासत में हमेशा ही नए महाराणा का राजतिलक होता रहा है लेकिन इस बार विश्वराज सिंह के रूप में जो 77वें एकलिंग दीवान यानी मेवाड़ के 77वें महाराणा का राजतिलक होने जा रहा है वो कई मायनों में बहुत खास है।

इस राजतिलक की खासियत ये है कि ये इस बार उदयपुर में ना होकर चित्तौड़ के फतह प्रकाश महल में होगा यानी मेवाड़ के किसी भी महाराणा का राजतिलक चित्तौड़ में 493 साल के बाद होने जा रहा है।

16वीं शताब्दी में चित्तौड़ के किले में महाराणा विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था जो मेवाड़ के किसी भी महाराणा का चित्तौड़ में आखिरी राजतिलक रहा है।

1531 ईस्वी में महाराणा विक्रमादित्य के बड़े भाई महाराणा रतन सिंह की मृत्यु हो जाने के कारण मात्र 14 साल की उम्र में इनका राजतिलक हुआ था।


1535 में महाराणा रायमल के सबसे बड़े बेटे कुँवर पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर ने विक्रमादित्य की हत्या कर खुद को महाराणा घोषित कर दिया।

इसके बाद बनवीर विक्रमदित्य के छोटे भाई कुँवर उदय सिंह को मारने के लिए गया लेकिन पन्ना धाय ने अपने बेटे चंदन का बलिदान देकर उसे बचा लिया।

विक्रमादित्य के बाद महाराणा उदय सिंह का राजतिलक कुंभलगढ़ में, महाराणा प्रताप का गोगुंदा में और अमर सिंह का चावंड में हुआ। बाद के सभी महाराणाओं का राजतिलक उदयपुर में ही हुआ है।

चित्तौड़ में होने वाले इस राजतिलक में मेवाड़ की परंपरा के अनुसार सलूम्बर के रावत देवव्रत सिंह राजतिलक की परंपरा निभाएंगे। सभी 16 उमराव और बत्तीसा सरदार महाराणा को नजराना पेश करेंगे।

महाराणा के राजतिलक में जब मेवाड़ के सभी ठिकानेदार अपनी पारंपरिक वेशभूषा पहन कर आएँगे तब चित्तौड़ का किला उसी गौरवशाली पल को फिर से दोहराएगा जब इसमें राजतिलक हुआ करते थे।


लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें। जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट भी हूँ इसलिए मैं लोगों को वीडियो और ब्लॉग के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारियाँ भी देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर ट्रैवल और हेल्थ से संबंधित मेरे लेख पढ़ सकते हैं।

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