कहाँ है औरंगजेब द्वारा तुड़वाया गया श्याम मंदिर? - Khatu Shyam Mandir Rajasthan

कहाँ है औरंगजेब द्वारा तुड़वाया गया श्याम मंदिर? - Khatu Shyam Mandir Rajasthan, इसमें खाटू में औरंगजेब द्वारा तुड़वाए गए श्याम मंदिर की जानकारी दी है।

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क्या आपको पता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने खाटू में श्याम बाबा के मूल मंदिर को तुड़वाकर उसकी जगह एक मस्जिद बनवा दी थी?

क्या आप ये भी जानते हैं कि अब आप जिस श्याम मंदिर में श्याम बाबा के दर्शन के लिए जाते हैं उसे औरंगजेब की मौत के बाद बनाया गया था?

आज हम आपको श्याम बाबा के मंदिर से संबंधित एक महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है।

जब बर्बरीक ने भगवान कृष्ण को अपना शीश दान कर दिया तब कृष्ण ने बर्बरीक के शीश को युद्ध के मैदान के पास की पहाड़ी पर स्थापित कर दिया ताकि वो महाभारत के युद्ध को अंत तक देखें।

हजारों वर्षों के बाद बर्बरीक का वह शीश एक नदी में बहता हुआ खाटू में आ कर एक टीले के नीचे दब गया। बाद में जब यहाँ के चौहान राजा ने इस शीश को इसके प्रकट होने वाली जगह यानी वर्तमान श्याम कुंड से थोड़ी दूरी पर एक मंदिर में स्थापित करवाया।

आपको लगता होगा कि ये मंदिर वही है जिसमें चौहान राजा ने इसे स्थापित कराया था लेकिन ऐसा नहीं है। 

अगर हम खाटू श्याम मंदिर के प्रामाणिक इतिहास की बात करें तो पंडित झाबरमल्ल शर्मा की किताब खाटू श्यामजी का इतिहास में पेज नंबर 40 और 49 पर बताया गया है कि राजा ने श्याम कुंड से मूर्ति को निकलवाकर बाजार में एक प्राचीन मंदिर में स्थापित करवाया। उस समय इस मंदिर की परिक्रमा में एक शिवालय आता था जो आज भी मौजूद है।


मुगल काल में बादशाह औरंगजेब ने श्याम बाबा के इस प्राचीन मंदिर को तुड़वाकर इसकी जगह एक मस्जिद बनवा दी। आप आज भी श्याम मंदिर की जगह बनी इस मस्जिद के पास उस प्राचीन शिवालय को देख सकते है।

औरंगजेब की मृत्यु के बाद 1720 ईस्वी में जोधपुर के शासक अभय सिंह ने श्याम बाबा के नए मंदिर की शुरुआत कराई और मंदिर का निर्माण पूर्ण हो जाने पर बाबा श्याम के शीश को उस मंदिर में स्थापित करवाया।

आज हम खाटू में श्याम बाबा के दर्शन के लिए जिस मंदिर में जाते हैं वो श्याम बाबा का मूल मंदिर ना होकर जोधपुर के शासक अभय सिंह द्वारा बनवाया गया दूसरा मंदिर है।

आज के समय ज्यादातर लोगों को तो खाटू में श्याम बाबा के मूल मंदिर के बारे में पता ही नहीं है। उम्मीद है इस जानकारी से सभी श्याम भक्तों को श्याम मंदिर के इतिहास के बारे में उपयोगी बातें जानने को मिली होगी।


लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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