स्वतंत्रता सेनानी मालीराम सैनी - Freedom Fighter Maliram Saini in Hindi

स्वतंत्रता सेनानी मालीराम सैनी - Freedom Fighter Maliram Saini in Hindi, इसमें श्रीमाधोपुर के स्वतंत्रता सेनानी मालीराम सैनी के बारे में जानकारी है।

Freedom Fighter Maliram Saini in Hindi

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स्वतन्त्रता सेनानियों का जीवन त्याग और बलिदान की वह प्रेरणा गाथा रहा है जो भावी पीढ़ी के लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत रहेगा।

श्रीमाधोपुर क्षेत्र की धरती का स्वतन्त्रता आन्दोलन में प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से अविस्मरणीय योगदान रहा है जिसे न तो पिछली पीढ़ियाँ भुला पायी हैं तथा न ही आगामी पीढ़ियाँ भुला पाएँगी।

श्रीमाधोपुर क्षेत्र से कई स्वतन्त्रता सेनानियों का उदय हुआ जिनमें श्री मालीराम सैनी का नाम भी स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास के पन्नों में प्रमुखता के साथ स्वर्णाक्षरों में दर्ज है।

मालीराम सैनी श्रीमाधोपुर कस्बे की डोड्यावाली ढाणी के निवासी थे तथा इनका जन्म 1918 ईस्वी में हुआ था। इनके पिताजी का नाम श्री गंगाबक्स तथा माताजी का नाम श्रीमती गौरा देवी था।

इनकी प्रारम्भिक शिक्षा पंडित बंशीधर शर्मा गोछल्डी की देख रेख में संपन्न हुई। पंडित बंशीधर श्रीमाधोपुर क्षेत्र के जाने माने स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ विख्यात समाज सुधारक भी थे।

पंडित बंशीधर शर्मा के पास शिक्षा प्राप्त करते समय ही इन पर पंडित जी के जीवन तथा उनके आदर्शों का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा।

युवावस्था तक पहुँचते-पहुँचते इनका मन क्रांतिकारी विचारों से भर उठा तथा इन्होंने माँ भारती की आजादी के लिए आयोजित स्वतंत्रता संग्राम रुपी महायज्ञ में अपने योगदान की आहुति प्रदान करना सुनिश्चित किया।


दृढ़ निश्चय तथा पक्के इरादे के साथ इन्होंने अंग्रेजों की गुलामी को जड़ से उखाड़ कर फेंकने की दिशा में अपने कदम बढ़ाना शुरू कर दिया।

इन्होंने 1939 ईस्वी में प्रजामंडल द्वारा आयोजित सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लिया जिसके परिणामस्वरूप इन्हें चार माह की कैद की सजा काटनी पड़ी।

सजा पूर्ण होने के पश्चात इन्होंने कई वर्षों तक खादी भण्डार में कार्य किया तथा उसी दरमियान इन्होंने श्रीमाधोपुर पंचायत समिति के कार्यों में भी अपनी सेवाएँ प्रदान की।

इन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम में अपना सक्रिय योगदान दिया। इसके साथ इन्होंने रियासती तथा सामंती उत्पीड़न के खिलाफ होने वाले संघर्षों में भी अपना योगदान प्रदान किया।

इनके इन्हीं योगदान के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए इन्हें राजस्थान सरकार द्वारा 1987 में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री हरिदेव जोशी की अगुआई में ताम्र पत्र से सम्मानित किया गया।

14 नवम्बर 2000 को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने भी राजस्थान स्थापना की स्वर्ण जयंती पर इन्हें ताम्र पत्र भेंट किया। अपने आदर्शों तथा अपनी त्याग गाथा को जनता के लिए यादगार बनाकर 2004 में इन्होंने अपनी देह त्याग कर देवलोक गमन किया।

इनके पुत्र श्री मक्खन लाल ने 2009 में बाईपास रोड पर इनकी भव्य मूर्ति का निर्माण करवाया जिसका अनावरण तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष श्री दीपेन्द्र सिंह शेखावत द्वारा किया गया।

स्वतंत्रता सेनानी मालीराम सैनी की फोटो - Photo of Freedom Fighter Maliram Saini


Freedom Fighter Maliram Saini in Hindi 1

लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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