चमत्कारी संत बाल ब्रह्मचारी बाबा - Saint Bal Brahmachari Baba in Hindi

चमत्कारी संत बाल ब्रह्मचारी बाबा - Saint Bal Brahmachari Baba in Hindi, इसमें संत आत्मानंद जी यानी ब्रह्मचारी बाबा के जीवन के बारे में जानकारी है।

Saint Bal Brahmachari Baba in Hindi

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श्रीमाधोपुर कस्बा अनेक संतों की आश्रय स्थली रहा है जिनमें से कुछ संतों के प्रति क्षेत्र वासियों का लगाव तथा आस्था चरम पर रही है।

ऐसे संतों में से एक प्रमुख संत हैं श्री आत्मानंद जी जिन्हें ब्रह्मचारी बाबा के नाम से भी जाना जाता है। ज्ञात स्रोतों के अनुसार बाबाजी श्रीमाधोपुर के ही मूल निवासी थे। इनके पिताजी का नाम लच्छूराम तिवाड़ी तथा माताजी का नाम श्रीमती कमला देवी था।

इनके बचपन का नाम देवव्रत था। इनके एक और भाई थे जिनका नाम गंगाबक्स था। देवव्रत मात्र 12-13 वर्ष की उम्र में ही घर त्याग कहीं प्रस्थान कर गए थे। घर त्यागने के पश्चात इन्होंने संन्यास अपना लिया। 10 वर्षों पश्चात एक दिन ये एक सन्यासी के रूप में श्रीमाधोपुर के निकट जयरामपुरा ग्राम में पधारे।

कमर पर लंगोटी, पैरों में खड़ाऊ तथा त्रिपुण्ड धारण किये हुए, मुख से शिव का जाप करते हुए इन्होंने एक पीपल के पेड़ के नीचे सात दिन के लिए अपना धूणा लगाया। इन्हें देखकर लोगों की भारी भीड़ इकट्ठी हो गई।

परिचय मांगे जाने पर इन्होंने अपना परिचय आत्मानंद के नाम से दिया। बाबाजी ने एकांत स्थान पर अपनी कुटिया बनवाने की इच्छा प्रकट की तब इनके लिए जयरामपुरा की रोही में एक कुटिया का निर्माण करवाया गया।

तत्पश्चात बाबाजी तपस्या में लीन हो गए। यह कुटिया आज भी बाबा आत्मानंद बाल ब्रह्मचारी आश्रम में मौजूद है। यह आश्रम श्रीमाधोपुर कस्बे से उत्तर दिशा में खंडेला की तरफ हाँसपुर रोड पर स्थित है।

कहा जाता है कि बाबाजी इतने सिद्ध संत थे कि वे रात्रि में सिंह का रूप धारण कर लेते थे। इनमें अपने शरीर को तीन टुकड़ों में विभक्त कर लेने की सिद्धि भी थी।


इनकी तपस्या तथा चमत्कारों के चर्चे सुदूर तक होने लग गए थे जिसकी वजह से दूर-दूर से भक्त गण इनके पास आने लग गए थे।

बाबाजी ने हिमालय की गौरी शंकर चोटी तक की यात्रा की थी एवं अपने जीवन का बहुत सा समय हिमालय पर स्थित तीर्थ स्थलों में ही गुजारा था।

बाबाजी रात्रि के समय आश्रम में किसी को भी ठहरने नहीं देते थे। वे रुपयों को ठेकरी नाम से पुकारते थे तथा उन्हें छूते नहीं थे। ज्ञात रूप से उन्होंने कभी भी अपना आश्रम नहीं छोड़ा।

इनके आश्रम में भक्तों द्वारा शिवजी का मंदिर, दक्षिणमुखी हनुमान जी का मंदिर तथा पूर्वमुखी दुर्गा जी का मंदिर निर्मित करवाया गया। भक्तों द्वारा दो कुँओं, पशुओं के पानी पीने के लिए दो खेली तथा एक कोठे का निर्माण भी करवाया गया।

बाबाजी से आशीर्वाद लेकर श्रीमाधोपुर निवासी श्री महावीर ठेकेदार ने एक वृहद गौशाला का निर्माण करवाया जिसे बाद में गौ गढ़ के रूप में पहचान मिली।

दाँता के ठाकुर श्री मदन सिंह ने बाबाजी को एक घोड़ी, मृगछाला तथा बागम्बरी (शेर की खाल) भेंट स्वरुप प्रदान की तथा दो बड़े महाचंडी यज्ञ करवाए।

प्रथम यज्ञ 1951 में आसोज शुक्ला एकम से नवमीं तक हुआ जिसके याज्ञिक सम्राट (यज्ञाचार्य) श्री वेणीराम गौड़ तथा तथा प्रधान ब्रह्मा पंडित श्रीमाधोपुर निवासी श्री विश्वेम्भर हरितवाल थे।

द्वितीय यज्ञ 1954 में चैत्र सुदी एकम से नवमी तक हुआ जिसके याज्ञिक सम्राट (यज्ञाचार्य) श्री वेणीराम गौड़ तथा तथा प्रधान ब्रह्मा पंडित श्रीमाधोपुर निवासी श्री वैधनाथ काल्या थे। यज्ञ के समय चारों शंकराचार्य तथा कृपात्री जी महाराज ने श्रीमाधोपुर पधारकर इस धरती को गौरवान्वित किया।

ब्राह्मण परिवार से कोई उपयुक्त उत्तराधिकारी नहीं मिलने पर बाबाजी ने गौशाला में गायों की सेवा करने वाले गौ सेवक मोहनलाल मंगावा को अपना चेला बनाकर उन्हें जूनागढ़ अखाड़े से सन्यासी बुलाकर नागा पंथ की दीक्षा दिलवाई। बाबाजी ने उनका नाम दत्तगिरी रखकर उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाया।

श्रावण शुक्ला अष्टमी 1954 को बाबाजी अपनी देह त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए। इनके पश्चात इनकी चादर इनके चेले श्री दत्तगिरी महाराज पर पड़ी परन्तु 1996 में मंगसिर माह में ये भी ब्रह्मलीन हो गए।

इनके पश्चात इनकी चादर जूनागढ़ अखाड़े वाले महंतगिरी पर पड़ी जो 2004 में ब्रह्मलीन हुए। इनके पश्चात इनकी चादर श्री सतगिरी महाराज पर पड़ी जो वर्तमान में आश्रम की देखरेख में लगे हुए हैं।

वर्ष 2017 के जुलाई माह में बाबा आत्मानंद ब्रह्मचारी आश्रम परिसर में बाबाजी की 63वीं पुण्यतिथि पर सप्त दिवसीय रुद्राभिषेक, संत सम्मेलन तथा भंडारे के कार्यक्रम आयोजित किए गए।

इस आश्रम में गौ सेवा का कार्य बाबाजी के समय से अनवरत चला आ रहा है एवं यज्ञ, भागवत तथा कई प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं।

चमत्कारी संत बाल ब्रह्मचारी बाबा की फोटो - Photos of Saint Bal Brahmachari Baba


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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Ramesh Sharma

My name is Ramesh Sharma. I am a registered pharmacist. I am a Pharmacy Professional having M Pharm (Pharmaceutics). I also have MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA and CHMS. Usually, I travel at hidden historical heritages to feel the glory of our history. I also travel at various beautiful travel destinations to feel the beauty of nature. I write religious articles related to temples and spiritual places specially Khatu Shyamji also.

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