पलसानिया की बावड़ी खंडेला सीकर - खंडेला की बावड़ियों में एक महत्वपूर्ण बावड़ी है पलसानिया की बावड़ी. जैसा कि नाम से विदित हो रहा है कि इस बावड़ी का सम्बन्ध किसी पलसानिया परिवार या इसके किसी सदस्य से रहा है.
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मूनका की बावड़ी खंडेला सीकर - आज हम आपको खंडेला की 52 बावड़ियों में शामिल एक बावड़ी का भ्रमण करवाते हैं जिसे मूनका की बावड़ी के नाम से जाना जाता है.
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बिंज्या की बावड़ी खंडेला सीकर - खंडेला बावड़ियों का शहर है. किसी समय इसमें कुल 52 बावड़ियाँ बनी हुई थी. समय के थपेड़ों ने कईयों को नष्ट कर दिया और कई नष्ट होने की कगार पर है.
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काला दरवाजा खंडेला सीकर - खंडेला की ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल है एक दरवाजा, जिसे काले दरवाजे के नाम से जाना जाता है. इस दरवाजे का ऐतिहासिक रूप से काफी महत्व है.
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सलेदीपुरा बाँध और सलेदीपुरा बारादरी सीकर - खंडेला के निकट सलेदीपुरा नामक जगह का बड़ा ऐतिहासिक महत्व है. यहाँ पर कई ऐतिहासिक स्थल है जो काफी दर्शनीय हैं. इन्ही में से एक है यहाँ का बाँध और इसके किनारे पर बनी बारादरी.
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चारोड़ा धाम खंडेला सीकर - प्राचीनकाल से ही खंडेला कई धार्मिक सम्प्रदायों की गतिविधि का केंद्र रहा है जिनमे जैन, शैव, वैष्णव आदि प्रमुख हैं. साथ ही यह कस्बा कई संतों की कर्मभूमि और जन्म भूमि भी रहा है.
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बहूजी की बावड़ी खंडेला सीकर - खंडेला को 52 बावड़ियों के नगर के नाम से भी जाना जाता है. ये बावड़ियाँ राजाओं, रानियों, नगर सेठों द्वारा बनवाई गई हैं. इन्ही बावड़ियों में एक बावड़ी है बहूजी या रानीजी की बावड़ी.
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खंडलेश्वर महादेव मंदिर खंडेला सीकर - प्राचीन काल में खंडेला रियासत सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यों का प्रमुख केंद्र थी. शैवमत एवं जैन धर्म यहाँ पर बहुत फला फूला.
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पाँच हजार वर्ष पुरानी ताम्रयुगीन गणेश्वर सभ्यता - ऐतिहासिक रूप से राजस्थान अत्यंत समृद्ध राज्य है. यहाँ, पग-पग पर किले, बावड़ी, छतरियाँ, हवेलियाँ आदि बहुतायत में मौजूद है.
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पाइराइट्स की खान सलेदीपुरा खंडेला सीकर - खंडेला के आस पास की पहाड़ियाँ ना सिर्फ प्राकृतिक सौन्दर्य को बढाती हैं वरन प्रचुर मात्रा में खनिज सम्पदा भी उपलब्ध कराती हैं. कई दशकों पूर्व निकटवर्ती सलेदीपुरा (Saledipura or Saladipura) की पहाड़ियों में पाइराइट्स का भण्डार पाया गया था और कुछ वर्षों पूर्व निकटवर्ती रॉयल ग्राम की पहाड़ियों में यूरेनियम के भण्डार मिले हैं.
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भैरव मंदिर भैरा खंडेला सीकर - सीकर जिले में खंडेला के आसपास कई धार्मिक स्थल मौजूद हैं जिनमे से कई तो अभी भी लोगों की पहुँच से दूर हैं. ऐसा ही एक धार्मिक स्थल है भैरा ग्राम की पहाड़ियों में मौजूद भैरव मंदिर.
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राजपरिवार की छतरियाँ खंडेला सीकर - सीकर जिले का आज का खंडेला कस्बा किसी समय में एक रियासत कहलाता था. यहाँ का इतिहास महाभारतकालीन युग से सम्बन्ध रखता है. खंडेला रियासत पर अनेक सदियों में अनेक राजवंशों ने राज किया जिनमे चौहान, निर्वाण, शेखावत आदि प्रमुख है.
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चामुण्डा माता मंदिर खंडेला सीकर - खंडेला नगरी अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के साथ-साथ धार्मिक विरासतों के लिए भी जानी जाती है. इन्हीं धार्मिक विरासतों में शामिल है चामुण्डा माता का मंदिर. यह मंदिर खंडेला की पहाड़ियों में स्थित है.
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चेतन दासजी की बावड़ी लोहार्गल झुंझुनू - पवित्र तीर्थ गुरु लोहार्गल धाम का सम्बन्ध पांडवों के साथ तो रहा ही है लेकिन यह स्थान अनेक संतों की तपोस्थली भी रहा है. इस धरा को सुशोभित करने वाले ऐसे ही एक संत थे जिन्हें सभी संत शिरोमणि चेतन दासजी के नाम से जानते हैं.
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सोनगिरी बावड़ी खंडेला सीकर - सीकर जिले के खंडेला कस्बे को बावड़ियों का शहर कहा जाता है. किसी समय में यहाँ 52 बावड़ियाँ हुआ करती थी जिनकी वजह से यहाँ कभी भी पानी की कमी नहीं हुआ करती थी.
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भानगढ़ का किला अलवर - भानगढ़ का किला सरिस्का के जंगलों से घिरा हुआ होने के साथ-साथ अपने आप में कई रहस्यमय कथाओं और डरावने इतिहास को समेटे हुए है. इस किले को भारत के ही नहीं बल्कि एशिया के सबसे डरावने स्थानों में शुमार किया जाता है.
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पचार का गढ़ दांतारामगढ़ सीकर - सीकर जिले में कई ठिकाने रहे हैं जिनमे से एक ठिकाने का नाम प्रमुखता से लिया जाता है जिसे पचार ठिकाने के नाम से जाना जाता है. यह ठिकाना प्रसिद्ध खाटूश्यामजी कस्बे से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर है.
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सामोद महल चौमूँ जयपुर - जयपुर के आस पास अरावली की पहाड़ियों में जगह-जगह पर स्थित किले, हवेलियाँ, बावड़ियाँ और प्राचीरें इतिहास में दर्ज आमेर रियासत की याद ताजा करा देती है. किसी समय इसी रियासत का एक हिस्सा हुआ करता था सामोद ठिकाना.
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